शिमला में संजौली मस्जिद का अवैध ढांचा ढहाने की कार्रवाई तेज, स्तीथि तनावपूण

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संजौली मस्जिद का अवैध भाग गिराने का काम अब शुरू हो गया है। 5 अक्टूबर को नगर निगम कमिश्नर ने एक आदेश जारी किया, जिसमें मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया गया था. इसके बाद यह कदम उठाया गया।

Illegal Construction: मस्जिद कमेटी को खुद खर्च करना होगा

यह आदेश नगर निगम के लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद का एक भाग है, जिसमें कई सालों से चली आ रही स्थानीय समुदाय और मस्जिद के बीच की तनातनी का समाधान किया जा रहा है। मस्जिद कमेटी को अपने खर्चों का भुगतान करना होगा संजौली मस्जिद कमेटी को यह काम खुद करना होगा। वक्फ बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद मस्जिद कमेटी ने आज से अवैध हिस्से को गिराने की प्रक्रिया शुरू की है।

Illegal Construction: इतिहास और अवैध मस्जिद निर्माण

1947 से पहले, संजौली मस्जिद का निर्माण केवल दो मंजिलों का था। धीरे-धीरे इसमें अवैध तीन मंजिलें जोड़ी गईं। इस निर्माण के खिलाफ पिछले 14 साल से नगर निगम आयुक्त के कोर्ट में कानूनी मामला चल रहा है। स्थानीय निवासियों की चिंताओं को हल करने के लिए इस मामले में कई बार प्रयास किए गए हैं, लेकिन मामला अभी भी न्यायालय में है।

Illegal Construction: विवाद और प्रदर्शन का बढ़ता दबाव

1 सितंबर को दो समुदायों के बीच झगड़ा हुआ, जिसके बाद मस्जिद के बाहर प्रदर्शन शुरू हुए, जिससे यह मामला चर्चा में आया। स्थानीय लोगों ने कहा कि मस्जिद की अवैध मंजिलों से उनके घरों में बाहरी लोग ताक-झांक करते हैं, जिससे उनकी निजता प्रभावित होती है। इस स्थिति ने सामाजिक तनाव को जन्म दिया और विवाद और और बढ़ा दिया। समुदायिक सौहार्द भी इस विवाद से प्रभावित हुआ, जो पूरे क्षेत्र में विवाद पैदा कर दिया।

Illegal Construction: कानूनी जटिलता और पूर्व सुनवाई की तारीख

21 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई एमसी आयुक्त की कोर्ट में होगी। स्थानीय लोगों ने इस मामले में जानबूझकर देरी का आरोप लगाया है। स्थानीय लोगों ने इस मामले में याचिका दायर की है, जिस पर अब कोर्ट में सुनवाई होनी है, जैसा कि उनके अधिवक्ता ने बताया। यह स्थिति बताती है कि स्थानीय निवासी जल्द से जल्द न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए गंभीर हैं।

 Illegal Construction: शिमला में तनावपूर्ण वातावरण

संजौली मस्जिद पूरे प्रदेश में विवाद का कारण बन गई है। शिमला सहित अन्य जिलों में भी प्रदर्शन हुए हैं, जिससे तनाव बढ़ा है। अब तक 46 बार सुनवाई हुई है, लेकिन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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