NDA Core Committee: केंद्रिया गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में ही एक टीवी इंटरव्यू में कहा ” चुनाव के बाद देखेंगे बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा”। इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस पर सफाई देते हुऎ कहा की अमित शाह यह बताने की कोशिश कर रहे थे की पार्टी में बड़े फैसले संसदीय बोर्ड लेता है। हालांकि, आईएस बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
NDA Core Committee: नीतिश कुमार पर एनडीए ने फत जताया भरोसा
दिल्ली में एनडीए की कोर कमेटी की बैठक के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने एक और में घोषणा की कि 2025 के विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जाएंगे। जे डी यू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है। एनडीए सहयोगी दलों ने स्पष्ट किया कि नीतीश ही उनके सीएम फेस होंगे। लोजपा (राम विलास ) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा” हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूती से चुनाव लड़ेंगे”।
NDA Core Committee: अमित शाह के बयान पर विपक्ष ने उठाए सवाल
अमित शाह के ” चुनाव के बाद सीएम तय होगा ” बयान को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा। इसे एनडीए के नेतृत्व संकट का संकेत बताया गया। वहीं, भाजपा के नेताओं ने यह बयान संसदीय बोर्ड के फैसले की परंपरा से जोड़कर समझाने की कोशिश की।
NDA Core Committee: भाजपा के लिए क्यों जरूरी है नीतीश कुमार
नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने 2010 और 2020 में शानदार प्रदर्शन किया। 2010 में 39.07% वोट शेयर के साथ 206 सीटे जीती थी, जबकि 2020 में 37. 26 प्रतिशत वोट के साथ एनडीए को 125 सिटे मिली आंकड़े बताते हैं कि नीतीश के साथ रहने से भाजपा को बड़ी सीटों का फायदा हुआ है। हालांकि, 2014 में जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन यह फैसला भारी पड़ा और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब नीतीश कुमार गठबंधन की राजनीति से पीछे नहीं हटना चाहेंगे।
नीतीश के बिना क्या होगा भाजपा का हाल?
अगर नीतीश कुमार राजद से हाथ मिलाते हैं, तो पिछड़े, अति पिछड़े, और दलित वोट एकजुट हो सकते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 41.84% वोट मिले और 178 सिटे हासिल हुई, जबकि एनडीए को सिर्फ 58 सीटे मिल पाई।अगर ऐसा दोबारा हुआ तो, भाजपा को 2015 जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है।
अमित शाह की टिप्पणी पर विवाद
हमेशा ने संसद में अंबेडकर पर टिप्पणी करते हुए कहा” आजकल अंबेडकर का नाम लेना फैशन हो गया है। अगर भगवान का इतना नाम लिया होता, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता “। कांग्रेस और अपने इस बयान को अंबेडकर का अपमान बताते हुए विरोध किया और अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस बयान के बहाने नितेश कुमार को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने को कहा। हालांकि, जेडीयू नेताओं ने इस पर पलटवार किया।
जेडीयू का केजरीवाल को जवाब
जदयू नेता संजय झा और लल्लन सिंह ने केजरीवाल पर निशाना चाहते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में दलित और पिछड़ों के लिए जो काम किया है, वह अद्वितीय है। संजय झा ने कहा ” नीतीश कुमार के सार्वजनिक जीवन में कोई दाग नहीं है… भ्रष्टाचार के मामले में फंसे व्यक्ति को नीतीश जैसे नेता को सलाह देने का अधिकार नहीं है”।
बिहार की राजनीति का समीकरण
नीतीश कुमार का गठबंधन राजनीति में अनुभव और लोकप्रियता उन्हें भाजपा के लिए अपरिहार्य बनती है। अपने बताते हैं कि जब भी नीतीश बीजेपी के साथ रहे हैं, सीटों में जाता हुआ है। हालांकि, अगर वे आरजेडी या किसी अन्य दल से गठबंधन करते हैं, तो एनडीए को बड़ा नुकसान हो सकता है।
क्या बदलेंगे बिहार के सियासी समीकरण?
नीतीश कुमार के साथ भाजपा का गठबंधन बरकरार रहेगा या टूटेगा, यह आने वाले समय में साफ होगा। भाजपा के लिए नीतीश का साथ बनाए रखना जरूरी है, लेकिन बिहार की राजनीति में समीकरण पल भर में बदल सकते हैं। अब सवाल यह है कि क्या नीतीश 2025 में एनडीए का चेहरा होंगे।