SIR: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, 6 राज्यों में मतदाता सूची संशोधन की समयसीमा बढ़ी

चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में समयसीमा बढ़ा दी है। पहले इस प्रक्रिया की अंतिम तिथि 11 दिसंबर तय थी, लेकिन अब राज्यों की मांग को देखते हुए इसे आगे बढ़ा दिया गया है। जिन राज्यों को नई समयसीमा का लाभ मिलेगा उनमें यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और अंडमान-निकोबार शामिल हैं।

सीईओ (CEO) की अनुशंसा के बाद जारी नए निर्देशों में यह साफ किया गया है कि पश्चिम बंगाल के शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि वहां भी समयसीमा बढ़ सकती है।

किस राज्य में अब कब तक होगी प्रक्रिया?

इस बार इलेक्टोरल रोल तैयार करने के लिए 1 जनवरी 2026 को क्वालिफाइंग डेट माना गया है।

तमिलनाडु और गुजरात में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट अब 19 दिसंबर को जारी होगी, जबकि पहले 14 दिसंबर तारीख तय थी।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में ड्राफ्ट रोल की पब्लिकेशन डेट 18 दिसंबर से बढ़ाकर 23 दिसंबर कर दी गई है।

उत्तर प्रदेश में ड्राफ्ट लिस्ट 26 दिसंबर की जगह अब 31 दिसंबर को प्रकाशित होगी।

केरल के लिए पहले ही बदला जा चुका है शेड्यूल

केरल में SIR प्रक्रिया के लिए संशोधित कार्यक्रम पहले ही लागू हो चुका है। यहां गिनती का काम 18 दिसंबर 2025 तक पूरा होगा और 23 दिसंबर 2025 को ड्राफ्ट रोल जारी किया जाएगा। पात्र मतदाताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे Form-6 के साथ आवश्यक घोषणा पत्र भरकर BLO को दें या ECI Net पोर्टल/ऐप के जरिए ऑनलाइन आवेदन करें, ताकि उनका नाम फरवरी 2026 में प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में जोड़ा जा सके।

पार्टियों को पहले ही मिलेगी मृत वोटरों की सूची

चुनाव आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों (BLA) को ड्राफ्ट रोल से पहले ही मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित और डुप्लीकेट मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई जाएगी। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट  16 दिसंबर को जारी होनी है।

BLOs को ऐसे मतदाताओं की पहचान करने को कहा गया है जिनसे तीन बार प्रयास करने के बाद भी संपर्क नहीं हो सका। बिहार में SIR के दौरान भी ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिससे डेटा की शुद्धता में सुधार हुआ था।

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