- अयोध्या – अयोध्या, जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में विख्यात है, अब एक और आस्था के केंद्र का साक्षी बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में रामनाथ स्वामी मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर तमिलनाडु के प्रसिद्ध रामेश्वरम के रामनाथ स्वामी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है और इसका उद्देश्य दक्षिण भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को उत्तर भारत के इस पवित्र शहर में संजोना है।
अयोध्या में रामेश्वरम की झलक
रामनाथ स्वामी मंदिर का उद्घाटन अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसका निर्माण रामेश्वरम के रामनाथ स्वामी मंदिर की वास्तुकला और धार्मिक अनुष्ठानों को ध्यान में रखकर किया गया है। इस पहल से यह सुनिश्चित होता है कि अयोध्या न केवल उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र बने।
द्रविड़ शैली में सजा रामनाथ स्वामी मंदिर: अयोध्या में तमिलनाडु की झलक
रामनाथ स्वामी मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है, जो कि दक्षिण भारतीय मंदिर निर्माण की एक प्रमुख शैली है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की प्रतिष्ठा की गई है, और इसे पारंपरिक तरीके से सजाया गया है। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गर्भगृह तक का हर हिस्सा अद्वितीय नक्काशी और मूर्तिकला से सुसज्जित है। निर्माण में विशेष ध्यान रखा गया है कि मंदिर की हर एक संरचना तमिलनाडु के मंदिरों की झलक प्रस्तुत करे।
सीएम योगी ने कहा रामनाथ स्वामी मंदिर सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
उद्घाटन समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता और संस्कृति की विविधता का प्रतीक भी होगा। उन्होंने कहा कि रामेश्वरम के मंदिर का मॉडल अयोध्या में लाना उत्तर और दक्षिण भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा, “अयोध्या में रामनाथ स्वामी मंदिर का उद्घाटन हमारे लिए गौरव का क्षण है। यह मंदिर हमें रामेश्वरम की याद दिलाता है और हमें भारतीय संस्कृति की समृद्ध विविधता की याद दिलाता है।”
अयोध्या में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई दिशा
रामनाथ स्वामी मंदिर के उद्घाटन के साथ ही अयोध्या में धार्मिक पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी। रामेश्वरम का मंदिर दक्षिण भारत के चार धामों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व अपार है। रामनाथ स्वामी मंदिर का उद्घाटन उत्तर और दक्षिण के श्रद्धालुओं के बीच एक सेतु का कार्य करेगा और उन्हें रामायण काल के इस पवित्र स्थल से जोड़ने का काम करेगा।मंदिर में दक्षिण भारतीय परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना की जाएगी। यहाँ के पुजारियों को तमिलनाडु से विशेष रूप से बुलाया गया है, जो प्रतिदिन विशेष पूजा और अनुष्ठान करेंगे। इससे अयोध्या में एक नया धार्मिक अनुभव देखने को मिलेगा और दक्षिण भारतीय भक्तों के लिए अपने रीति-रिवाजों का पालन करना भी आसान होगा।