सुप्रीम कोर्ट का धमाका, एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा अब भी सवालों में!

Supreme Court: Supreme Court ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर एक ऐतिहासिक निर्णय दिया। कोर्ट ने माना कि एमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा, लेकिन अंतिम निर्णय बाद में किया जाएगा। सात सदस्यों की संविधान पीठ ने इस निर्णय को 4-3 बहुमत से पारित किया।

Supreme Court: सीजेआई ने सुनाया बहुमत का निर्णय

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने ऐतिहासिक निर्णय दिया। जबकि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस शर्मा ने इस पर असहमति जताई है, सीजेआई ने बहुमत के पक्ष में फैसला लिखा है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 30 के अधीन है, जो अल्पसंख्यक समुदायों को उनके संस्थानों को चलाने का अधिकार देता है।

Supreme Court: संविधान का अनुच्छेद 30 क्या हैं?

अल्पसंख्यक संस्थाओं के विशेष अधिकार अनुच्छेद 30 में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय अपनी संस्थाओं को चलाने का अधिकार रखता है। लेकिन अनुच्छेद 19(6) में बताया गया है कि सरकारी नियमों के अधीन यह अधिकार सीमित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यक संगठनों को भी नियंत्रित किया जा सकता है, ताकि वे सार्वजनिक हित में काम करें।

Supreme Court: अल्पसंख्यक दर्जे का अंतिम निर्णय तीन जजों की बेंच करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का अंतिम फैसला एक विशेष तीन जजों की बेंच द्वारा किया जाएगा। इसका अर्थ है कि एमयू का अल्पसंख्यक दर्जा अभी स्थायी नहीं है; अगली सुनवाई में इसका अंतिम निर्णय होगा।

Supreme Court: फैसले का व्यापक प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक असर होगा, खासकर अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर। यह निर्णय बताता है कि अल्पसंख्यक संस्थान संविधान में दिए गए अधिकारों के बावजूद असीमित स्वायत्तता नहीं रख सकते और नियमों के अधीन होना चाहिए।

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