अजमेर में धार्मिक विवाद का नया मोड़, क्या सच में मंदिर है दरगाह के नीचे?

Ajmer Dargah Controversy: अजमेर दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दवा एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस मुद्दे को लेकर हाल में ही एक याचिका दायर की गई, जिसे अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। इसलिए एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है, खासकर जब से मथुरा, वाराणसी, और धार में भी ऐसे दावे किए जा चुके हैं।

Ajmer Dargah Controversy:  कोर्ट ने दिया सुनवाई का आदेश

अजमेर की सिविल अदालत में बुधवार को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने के दावे पर सुनवाई का आदेश दिया। याचिका में दावा किया गया है की दरगाह के नीचे मंदिर का अस्तित्व है। अदालत में 20 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

Ajmer Dargah Controversy:  राजनीति में मची हलचल

कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीति में हलचल मच गई है। जहां बीजेपी ने कोर्ट के आदेश का समर्थन किया, वहीं विपक्षी नेताओं ने की आलोचना की। पीएम मोदी द्वारा हाल में ही दरगाह पर चादर भेजने के बाद इस फैसले ने विवाद को और बढ़ा दिया है।

Ajmer Dargah Controversy:  गिरिराज सिंह ने किया बचाव

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि अगर अदालत में सर्वेक्षण का आदेश दिया है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मुगलों के समय में हमारे मंदिरों को नष्ट किया गया था, और कांग्रेस सरकार ने केवल तुष्टिकरण की राजनीति की।

 पूजा स्थल अधिनियम पर नया विवाद

पूजा स्थल( विशेष प्रावधान ) अधिनियम 1991 के अनुसार 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल का रूप नहीं बदला जा सकता। हालांकि, 2023 में 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। अब अजमेर में भी इस फैसले से विवाद बढ़ सकता है।

 महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस फैसले से धार्मिक विवाद बढ़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा इसी प्रकार के फसलों का परिणाम थीं।

 कपिल सिब्बल और ओवैसी की प्रतिक्रिया

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा है कि अगर ऐसा ही चला रहा, तो देश कहां जाएगा? वही ए आई एम आई एम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर टिप्पणी करते हुए कहा की पूजा स्थल अधिनियम का पालन किया जाना चाहिए ताकि देश संविधान के अनुसार चले।

 क्या होगा अजमेर दरगाह का भविष्य?

अजमेर दरगाह को लेकर उठ रहे सवालों ने पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह है कि इस मामले में अदालत का अगला फैसला क्या होगा और क्या इससे देश में और धार्मिक व्विवाद पैदा होंगे।

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