Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में ये पार्टियां मैदान में

Bihar Elections 2025

Bihar Elections 2025: बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए 2025 में चुनाव अक्टूबर–नवंबर के बीच आयोजित होने की संभावना है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के बीच देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कौन‑कौन सी पार्टियाँ मुख्य रूप से चुनाव लड़ रही हैं:

1. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA): BJP + JD(U)

BJP: नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा ‘नया बिहार’ नारे के साथ विकास और निवेश पर केंद्रित प्रचार कर रही है।

JD(U): नीतीश कुमार के नेतृत्व में, यह गठबंधन सरकार में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री का कार्यकाल अब तक लगभग 20 वर्षों का रहा है। उनके बेटे निशांत कुमार ने हाल ही में NDA के पक्ष में अभियान किया।

2. महागठबंधन / INDIA ब्लॉक

RJD: तेजस्वी यादव नेतृत्व में, जमीन पर मजबूत पकड़ बनाए रखे हुए है। उनके पिता लालू प्रसाद यादव की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

Congress: सीट शेयरिंग के तहत लगभग 50–60 सीटों पर लड़ रही है, लेकिन मुख्य रूप से RJD के साथ रणनीतिक गठबंधन में है।

साथ में शामिल कुछ वाम और क्षेत्रीय दल जैसे CPI, CPI(ML) इत्यादि जो विरोधी मोर्चे को मजबूत कर रहे हैं।

3. नई/छोटे खिलाड़ी

Jan Suraaj Party: प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित, “स्कूल बैग” चुनाव चिह्न के साथ पूरी 243 सीटों पर लड़ने वाला तीसरा विकल्प है।

LJP (Ram Vilas): किचग पासवान नेतृत्व में है, “Bihar First, Bihari First” अभियान चला रहा है और टिकटों की अपेक्षाएं जता रहा है।

Plurals Party: पुष्पम प्रिया चौधरी द्वारा गठित, शिक्षा, रोजगार और ग्रामीण विकास की नीति लेकर सामने है।

AASA: रामचंद्र प्रसाद सिंह ने BJP से अलग होकर बनाई थी, पर अब Jan Suraaj में विलय हो चुकी है।

चुनाव की बड़ी चुनौतियां और मुद्दे

जातीय समीकरण: बिहार की राजनीति में जाति का भारी प्रभाव है- ओबीसी, यादव, मीडिल और ट्राइबल वोटर अहम भूमिका में।

तृतीय विकल्प: Jan Suraaj जैसे नए दल जनता को मुख्यधारा से अलग समाधान का विकल्प दे रहे हैं।

इलेक्शन रोल विवाद: SIR यानी वोटर लिस्ट अपडेट को लेकर वाम और विपक्षी दलों का जोरदार विरोध जारी है

2025 का बिहार चुनाव आम नागरिक के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव है क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन होगा। आरक्षण, रोजगार, शिक्षा, बिजली जैसे स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ जातीय समीकरण और नए पक्षों का उदय इसे और रोचक बनाता है।

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