देश में हवाई यात्रा को लेकर पिछले एक हफ्ते से चल रही गड़बड़ियों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने इंडिगों को उड़ानों में कटौती करने के आदेश दिए हैं। जिससे सर्दी के पीक सीजन में उड़ाने रद्द ना हो और यात्रिओं को किसी भी तरफ की असुविधा ना हो।
बता दें कि इंडिगो ने दावा किया है कि उसकी सेवाएं अब सामान्य हो चुकी हैं। हालांकि सरकार इस दावे से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय को आशंका है कि सर्दियों के पीक सीजन में एयरलाइन अपने निर्धारित शेड्यूल को निभाने की स्थिति में नहीं होगी, इसलिए केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है।
नियामक संस्था DGCA ने विंटर 2025 सीजन (अक्टूबर 2024 से मार्च 2025) के लिए इंडिगो की स्वीकृत उड़ानों में 10% कटौती करने का आदेश जारी कर दिया है। यह निर्णय इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स की नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू से मुलाकात के बाद सामने आया। मंत्रालय ने उन्हें विशेष रूप से तलब कर एयरलाइन की स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा था।
पहले DGCA ने 5% फ्लाइट कटौती की बात कही थी, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए इसे बढ़ाकर 10% कर दिया गया। इस कटौती का सीधा मतलब है कि इंडिगो इस सीजन में हर हफ्ते करीब 1500 उड़ानें कम संचालित करेगी, जबकि एयरलाइन ने विंटर शेड्यूल में 15,014 साप्ताहिक उड़ानों की योजना बनायी थी।
मंत्रालय का मानना है कि ऑपरेशन को स्थिर रखने और लगातार हो रहे कैंसिलेशन रोकने के लिए यह कदम जरूरी है। खासकर उन व्यस्त रूटों पर, जहां मांग सबसे अधिक है। सरकार ने यह भी कहा कि जहां इंडिगो अकेले उड़ान संचालित करती है, वहां यात्रियों को विकल्प देने के लिए प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित की जाएगी।
उड्डयन मंत्री नायडू ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि इंडिगो की क्रू रोस्टरिंग, शेड्यूलिंग और संचार व्यवस्था में कमियों की वजह से यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने साफ किया कि जांच जारी है और जरूरत पड़ने पर आगे कार्रवाई भी की जाएगी।
DGCA के अनुसार नवंबर में इंडिगो को कुल 64,346 उड़ानें संचालित करनी थीं, लेकिन कंपनी सिर्फ 59,438 उड़ानें ही उड़ा पाई, यानी 951 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इतना ही नहीं, जिस समय 403 विमान ऑपरेशन में होने चाहिए थे, उस दौरान अक्टूबर में केवल 339 और नवंबर में 344 विमान ही सक्रिय रहे। नए FDTL नियमों के तहत क्रू की कमी भी प्रमुख वजह बताई जा रही है।
हालांकि इंडिगो कटौती के बाद भी सभी गंतव्यों पर उड़ानों का संचालन जारी रखेगी, लेकिन सवाल यह है कि बाकी एयरलाइंस कितनी उड़ानों का भार उठा पाएंगी। ऐसी स्थिति में किराए बढ़ने और उड़ानों में देरी या रद्दीकरण बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
दूसरी एयरलाइंस भी फिलहाल मजबूत स्थिति में नहीं हैं—Air India पर तेज विस्तार का दबाव है, SpiceJet के पास केवल 19 सक्रिय विमान बचे हैं और Akasa Air पायलटों व तकनीकी स्टाफ की कमी से जूझ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, बिना तैयारी के हजारों उड़ानों को अन्य एयरलाइनों में शिफ्ट करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा।
उधर, भारत के एविएशन सेक्टर में विमानों और पायलटों की कमी लगातार गहराती जा रही है। जून 2025 में देश में 694 विमान संचालित हो रहे थे, जो साल के अंत तक 800 के पार पहुंचने का अनुमान है। narrow-body विमान बढ़ रहे हैं, और हर नए विमान के लिए 10–15 पायलटों की जरूरत होती है। उद्योग के अनुसार, तत्काल 1,500–2,100 नए पायलटों की भर्ती बेहद जरूरी है।
सर्दियों के व्यस्त मौसम को देखते हुए यात्रियों को आने वाले हफ्तों में हवाई यात्रा में हल्की अनिश्चितता और बढ़े हुए किरायों का सामना करना पड़ सकता है
