China India Border: राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, सुरक्षा के मोर्चे पर भारत की चुनौतियाँ बढ़ी!

China India Border: भारत के रक्षा मंत्री रामनाथ सिंह ने हाल ही में भारत के सुरक्षा पर एक गंभीर बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत के पास सुरक्षा के मोर्चे पर कोई बड़ी सहूलियत नहीं है, क्योंकि हमारी सेना को उत्तर और पश्चिमी सीमाओं पर लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे दुश्मन, चाहे वह अंदर क्यों चाहे वह बाहर के, हमेशा सक्रिय रहते हैं और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना बेहद जरूरी है।

China India Border: हमारे दुश्मन कभी नहीं रुकते: रामनाथ का संदेश

रक्षा मंत्री ने सेवा के जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हमेशा अपने दुश्मनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी चाहिए। सही समय पर सही कदम उठाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। यह बयान मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू छावनी में दिया गया, जहां वह सुना के जवानों से मिल रहे थे।

China India Border:भारत चीन सीमा विवाद: जटिल और खतरनाक स्थिति

भारत की चीन के साथ 3,488 किमी लंबी सीमा है, जो तीन प्रमुख सेक्टर्स में बटी हुई है-ईस्टर्न, मिडिल, वेस्टर्न। इस सीमा पर विवाद भी गहरे हैं खासकर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के हिस्सों पर। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 90,000 कमी और लद्दाख के 38,000 कमी के क्षेत्रों पर दावा किया है। इसके अलावा 1963 में पाकिस्तान और चीन के बीच एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने PoK के 5,18 किमी क्षेत्र को चीन को दे दिया था।

भारत-चीन रिश्तो में सुधार की उम्मीद, लेकिन विवाद जारी

भारत और चीन के रिश्ते 2020 के बाद से अधिक तनावपूर्ण हो गए थे खासकर पूर्वी लद्दाख में सीमा पर संघर्ष के बाद। लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में जानकारी दी थी कि दोनों देशों के बीच बातचीत और कूटनीति के जरिए इस विवाद को सुलझाने की कोशिश जारी है। हालांकि, सीमा पर कुछ इलाकों में अभी भी विवाद बरकरार है और समाधान में समय लग सकता है।

पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद: तनाव और आतंकवाद का मामला

भारत की पाकिस्तान के साथ सीमा की लंबाई 3,323 कमी है। पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के लगभग 78,000 किमी क्षेत्र पर कब्जा किया हुआ है, जिसे पाकिस्तान अधिकृत(PoK) कश्मीर कहा जाता है । यह विवाद 1947 से चला आ रहा है, और अब तक चार युद्ध हो चुके हैं-1948,1965,1971 और 1999 में। पाकिस्तान ने 1948 में जम्मू-कश्मीर का हिस्सा कब्जा लिया और यह मामला आज भी संयुक्त राष्ट्र में है।

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