Kishanganj Army Camp: किशनगंज सेना कैंप का विरोध कौन कर रहा है? 

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Kishanganj Army Camp: बिहार का सीमावर्ती जिला किशनगंज सामरिक दृष्टि से देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है। नेपाल, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के चिकननेक (सिलीगुड़ी) कॉरिडोर के बेहद करीब स्थित यह जिला भारत की रणनीतिक ‘लाइफलाइन’ के आसपास पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र को कमजोर कर देश को रणनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिशें समय-समय पर होती रही हैं।

 

Kishanganj Army Camp: क्यो अहम है किशनगंज आर्मी कैंप

 

वर्तमान हालात में बांग्लादेश में भारत-विरोधी प्रदर्शनों और चिकननेक कॉरिडोर को काटने जैसी धमकियों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इसी पृष्ठभूमि में किशनगंज के कोचाधामन और बहादुरगंज अंचल में प्रस्तावित सेना कैंप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम कदम माना जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार नटुआपारा पंचायत (बहादुरगंज) और बड़ीजान पंचायत (कोचाधामन) में लगभग 260 एकड़ भूमि पर सैन्य कैंप स्थापित किया जाना है।

 

Kishanganj Army Camp: आर्मी कैंप से किसे है दिक्कत

 

हालांकि, इस परियोजना का विरोध भी तेज हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) किशनगंज के जिला मंत्री संजय सिंह का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण को रोकने के लिए राजनीतिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। उनके मुताबिक किशनगंज के सांसद डॉ. जावेद आजाद और एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने बिहार के गृह मंत्री सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मुलाकात कर इस अधिग्रहण पर आपत्ति जताई है।

 

विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि प्रस्तावित भूमि पर निर्भर हजारों किसान परिवार और खेतिहर मजदूरों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। उनका कहना है कि यही जमीन उनकी आय का एकमात्र साधन है, ऐसे में अधिग्रहण से सामाजिक-आर्थिक संकट खड़ा होगा।

 

Kishanganj Army Camp: सेना कैंप के समर्थन में कई संगठन

 

दूसरी ओर, विहिप और समर्थक संगठनों का कहना है कि जिस भूमि पर सेना कैंप प्रस्तावित है, वह नेपाल जाने वाले मुख्य मार्ग का प्रमुख द्वार है। यहां सैन्य मौजूदगी से सीमा पार तस्करी, घुसपैठ, मानव तस्करी और पशु तस्करी जैसी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा। साथ ही पूरे जिले की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

 

Kishanganj Army Camp: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है विषय

 

संजय सिंह ने यह भी कहा कि किशनगंज अल्पसंख्यक बहुल जिला है, जहां बीते वर्षों में धार्मिक आयोजनों में बाधा और मंदिरों में तोड़फोड़ जैसी घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में हिंदू आबादी और आस्था स्थलों की सुरक्षा भी एक गंभीर मुद्दा बन चुका है।

 

विहिप का स्पष्ट कहना है कि सेना कैंप का निर्माण स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है। संगठन ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की है कि राजनीतिक दबाव से ऊपर उठकर इस परियोजना को शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की सामरिक चुनौती से निपटा जा सके।

 

Input: Panchjanya

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