Kishanganj Military Camp: बिहार के किशनगंज जिले में प्रस्तावित Kishanganj Military Camp को लेकर विरोध तेज हो गया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि खेती योग्य और घनी आबादी वाले इलाके में सेना का कैंप बनाए जाने से किसानों की रोज़ी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा। इस मुद्दे पर AIMIM और कांग्रेस दोनों ही खुलकर विरोध में उतर आए हैं।
Kishanganj Military Camp: AIMIM विधायक तौसीफ आलम का कड़ा ऐतराज़
बहादुरगंज से AIMIM विधायक तौसीफ आलम ने पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि किशनगंज जिले में लगभग 200 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण कर आर्मी कैंप बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस फैसले से करीब 100 से अधिक किसान बर्बाद हो जाएंगे और वे किसी भी सूरत में किशनगंज में आर्मी कैंप नहीं बनने देंगे।
विधायक ने मांग की कि सैन्य कैंप को किसी दूसरी, गैर-कृषि भूमि पर स्थानांतरित किया जाए।
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Kishanganj Military Camp: मुख्यमंत्री से भी उठा चुके हैं मामला
तौसीफ आलम ने बताया कि वह इस मुद्दे को लेकर हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि प्रस्तावित सैनिक कैंप को किसी अन्य स्थान पर बनाया जाए, ताकि किसानों का विस्थापन न हो और किसी तरह का सामाजिक विवाद भी खड़ा न हो।

Kishanganj Military Camp: संसद तक पहुंचा विरोध
किशनगंज में आर्मी कैंप के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा संसद तक भी पहुंच चुका है। शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा के शून्यकाल में किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस विषय को उठाया था। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की थी कि आर्मी कैंप को जिले में किसी दूसरी जगह बनाया जाए, क्योंकि मौजूदा जमीन खेती योग्य है और इलाका घनी आबादी वाला है।
Kishanganj Military Camp: किसानों की रोज़ी-रोटी पर संकट का आरोप
AIMIM विधायक का कहना है कि जिस जमीन पर Kishanganj Military Camp का प्रस्ताव है, वहां इस समय सक्रिय खेती हो रही है। अगर यह जमीन सेना को दी जाती है तो सैकड़ों किसानों की आजीविका प्रभावित होगी और इलाके में भुखमरी जैसे हालात बन सकते हैं।
उन्होंने दावा किया कि कोचाधामन और बहादुरगंज ब्लॉक में इस प्रस्ताव को लेकर लोगों में भारी नाराज़गी है और स्थानीय स्तर पर इसका खुलकर विरोध किया जा रहा है।
