रायपुर साहित्य उत्सव 2026: सीएम विष्णुदेव साय की पहल से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान का उत्सव

Raipur Literature Festival 2026

Raipur Literature Festival 2026: रायपुर में 23 से 25 जनवरी (2026) तक आयोजित होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव 2026 की तैयारियों के तहत राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में विशेष साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म और साहित्यिक योगदान को याद किया गया, साथ ही साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता और नई पीढ़ी में साहित्य की भूमिका पर गहन संवाद स्थापित हुआ।

Raipur Literature Festival 2026: सीएम साय की विषेश पहल

यह पहल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शिता और साहित्यिक संवेदनशीलता का परिणाम है। उन्होंने साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह के मंचों को समर्थन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे राज्य और देशभर के साहित्यकारों को अपनी रचनाओं और विचारों को साझा करने का अवसर मिलता है।

कार्यक्रम में डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात का स्मरण किया और बताया कि बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व से मिलने की अपेक्षा कुछ और थी, लेकिन उन्होंने पाया कि शुक्ल अत्यंत सरल और सहज थे। उनकी बातचीत में आत्मीयता और स्पष्टता थी, जो उनके व्यक्तित्व और लेखन की सबसे बड़ी विशेषता रही।

Raipur Literature Festival 2026: विनोद शुक्ल को किया गया याद

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने कहा कि युवा विनोद कुमार शुक्ल से गहराई से आकर्षित रहते थे। उन्होंने याद किया कि शुक्ल ने बाल साहित्य की ओर रुख किया ताकि नई पीढ़ी के साथ न्याय किया जा सके।

साहित्यकार अलका सिन्हा ने शुक्ल की लेखनी की खूबसूरती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे मामूली परिस्थितियों में भी सौंदर्य खोज लेते थे। चाहे नौकर की कमीज़ हो या एक दीवार में खिड़की, उनकी रचनाओं में पात्र अपनी सीमित परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखते हैं। यह पाठक को धीरे-धीरे उनकी दुनिया से जोड़ता है और यही उनकी रचनात्मक सफलता की कुंजी रही।

Raipur Literature Festival 2026: साहित्य कैसे होगा बेहतर

सत्र में अनंत विजय ने साहित्य उत्सवों में गहराई और ठोस कंटेंट की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा और मंच पर फिल्मी हस्तियों के साथ हमेशा साहित्यकार की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सेल्फी संस्कृति साहित्य की दुश्मन है और इस तरह के उत्सवों का मूल उद्देश्य साहित्य-संवाद को केंद्र में रखना होना चाहिए।

अनिल जोशी ने नई पीढ़ी में किताबों और साहित्य से लौटती रुचि को सकारात्मक संकेत बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी साहित्यिक आयोजन की प्रासंगिकता पर पहले गंभीर विचार होना चाहिए और आयोजन के दौरान साहित्य की मूल भावना का पालन सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने विनोद कुमार शुक्ल की लेखनी को एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग के रूप में परिभाषित किया, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर महसूस करना पड़ता है।

Raipur Literature Festival 2026: रायपुर साहित्य उत्सव साहित्यकारों और पाठकों का सशक्त मंच

पूर्व संपादक और लेखक प्रताप सोमवंशी ने नई शैली और पारंपरिक शैली के समन्वय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि समय के साथ लेखन में बदलाव आया है, लेकिन पारंपरिक शैली आज भी पाठकों के बीच जीवित है।

सत्रों का संचालन पत्रकार विकास कौशिक और आशीष कुमार ‘अंशु’ ने किया। इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, समिति सदस्य संजीव सिन्हा और देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार तथा विचारक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस पहल से रायपुर साहित्य उत्सव न केवल साहित्यकारों और पाठकों के बीच संवाद का सशक्त मंच बना है, बल्कि छत्तीसगढ़ में साहित्यिक परंपरा को नया जीवन देने का प्रतीक भी बन गया है। इस उत्सव से साहित्य प्रेमियों और युवा लेखकों को प्रेरणा मिलती है कि वे अपने विचारों और रचनाओं को साझा करें और साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करें।

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