दरभंगा:- इंटैक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज), दरभंगा चैप्टर द्वारा विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता चैप्टर के संयोजक प्रो. एन. के. अग्रवाल ने की। इस अवसर पर प्रो. विद्यानाथ झा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि डॉ. के. के. साहू (संस्थापक आजीवन सदस्य, इंटैक दरभंगा चैप्टर) और जितेंद्र नायक, पटना विशिष्ट अतिथि थे।
विश्व धरोहर दिवस पर इंटैक दरभंगा चैप्टर द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी का हुआ आयोजन
बतौर अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. एन. के. अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष विश्व धरोहर दिवस की थीम ‘आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत है, जिसे आज पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। उन्होंने बिहार की विभिन्न धरोहरों का उल्लेख करते हुए उनके संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा, “संग्रहालय की दीवारों पर, हर पत्थर और इमारत पर इतिहास बोलता है। जो बचा रहे, वह धरोहर है; जो सहेजा जाय, वो विरासत है , जिसे हम बचा सकें, वही संरक्षण है।”
बतौर मुख्य अतिथि महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगा के पूर्व प्रधानाचार्य सह सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. विद्यानाथ झा ने कहा कि “विश्व धरोहर दिवस केवल अतीत की स्मृति नहीं है, बल्कि यह वर्तमान की जिम्मेदारी और भविष्य की नींव भी है।”
बिहार के सभी 38 जिलों में धरोहरों की व्यवस्थित सूची बनाकर चरणबद्ध तरीके से संरक्षण कार्य करने का सुझाव दिया। इस बात को जितेंद्र नायक ने कहा। उन्होंने हाल ही में देखे गए लगभग सौ साल पुराने एक संरक्षित रेलवे स्टेशन का अनुभव साझा किया और इससे सम्बंधित एक वीडियो इंटैक दरभंगा चैप्टर को समर्पित किया।
धरोहरों के संरक्षण से सांस्कृतिक पर्यटन के माध्यम क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मिलता है बढ़ावा, बोले पूर्व विकास पदाधिकारी, प्रो. कृष्ण कु. साहू
मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व विकास पदाधिकारी सह सेवानिवृत्त आचार्य डॉ. कृष्ण कुमार साहू ने अपने वक्तव्य में कहा, “धरोहरों का संरक्षण केवल संरचनाओं की रक्षा करना नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखना है।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि धरोहरों के संरक्षण से न केवल हम अपनी विरासत का सम्मान करते हैं, बल्कि इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है, खासकर सांस्कृतिक पर्यटन के माध्यम से।
संगोष्ठी में भारत में विश्व धरोहर स्थलों की वर्तमान स्थिति। धरोहर संरक्षण की प्रमुख चुनौतियाँ: शहरीकरण, प्रदूषण, उपेक्षा आदि। जीवंत धरोहरें: लोककला, भाषा, परंपराएँ, चित्रकला इत्यादि। संरक्षण में युवाओं की भागीदारी और शिक्षण संस्थानों की भूमिका। सांस्कृतिक पर्यटन का आर्थिक महत्व। इंटैक की भूमिका और दरभंगा चैप्टर की भविष्य की योजनाएँ।
संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि इंटैक दरभंगा चैप्टर स्थानीय विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के सहयोग से एक “धरोहर जागरूकता अभियान” चलाएगा। इस अभियान के तहत धरोहर स्थलों का भ्रमण, पोस्टर प्रतियोगिता और स्थानीय धरोहरों की पहचान जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। डॉ. श्याम नंदन, रिटायर्ड प्रिंसिपल और पर्यावरण विशेषज्ञ ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम का धन्यवाद साधना शर्मा ने की।
कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा “मैं अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का संकल्प लेता/लेती हूँ” के सामूहिक संकल्प के साथ हुआ।