पति-पत्नी के बीच संबंध को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

Domestic Violence:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज मांग और घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए एक महिला का केस खारिज किया। कोर्ट ने कहा कि विवाद यौन सहमति से संबंधित था, न कि दहेज से। दोनों की शादी 2015 में हुई थी। इसके बाद पति और उसके परिवार ने महिला से दहेज की मांग की महिला ने आरोप लगाया, कि जब उसने दहेज की मांग को पूरा नहीं किया तो उसके साथ शारीरिक और मानसिक हिंसा की गई।  महिला के अनुसार, यह मांग उसके ससुराल वालों द्वारा लगातार की जा रही थी जिससे वह मानसिक तनाव में आ गई थी।

 Domestic Violence: शराब की लत और अपप्राकृतिक सेक्स की मांग

महिला का कहना है कि उसके पति को शराब की लत है जो उनके वैवाहिक जीवन को और भी कठिन बना रहा है उसने यह भी आरोप लगाया है की पति उसे अप्राकृतिक सेक्स की मांग करता था, जो उसके लिए असहनीय था। महिला ने यह भी बताया कि उसका पति अवसर नग्न होकर घर में घूमता था और पोर्न फिल्में देखता था।  जब उसने इन सब चीजों का विरोध किया तो पति ने उसके साथ हिंसा की यह सब घटनाएं महिला के लिए बेहद परेशान करने वाली थी और उन्होंने कई बार अपने पति को समझने की कोशिश की लेकिन उसके प्रयास विफल रहे।

Domestic Violence:इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामला

महिला ने इन आरोपों के चलते पति के खिलाफ हाई कोर्ट में केस दर्ज कराया। इस केस में उसने यातना दहेज की मांग और अप्राकृतिक संबंध बनाने के आरोप लगाए पति और उसके परिवार ने इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में महिला के आरोपी को स्पष्ट नहीं माना और कहा कि ऐसे अ स्पष्ट आरोपों के आधार पर मामला चलाना मुश्किल है।

Domestic Violence:हाई कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट केस मैं मामले में यौन सुख को पति-पत्नी के बीच विवाद का मुख्य कारण मानते हुए केस को ख़ारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा यदि पति और पत्नी के बीच यौन इच्छाओं के बारे में सहमति नहीं है तो यह एक सामान्य समस्या है, जिसका समाधान साथ में समझ में बातचीत से होना चाहिए।  इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि महिला द्वारा दिए गए साबुतो के आधार पर यह साबित नहीं होता है, कि उसका पति उसके साथ कोई गंभीर को क्रूरता करता है।  इसलिए यह मामला आईपीसी की धारा 498 के तहत नहीं आता।  इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट ने मामले को घरेलू विवाद की तरह देखा है ना की गंभीर आरोप के रूप में।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *