Dr. Manmohan Singh: रुपए पर हस्ताक्षर करने वाले इकलौते प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह का ऐतिहासिक योगदान

Dr. Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के महानायक माने जाते हैं। उनकी नीतियों ने देश को आर्थिक संकट से उबार कर विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए और देश की आर्थिक नीतियों को नया स्वरूप दिया।

Dr. Manmohan Singh: रुपए पर हस्ताक्षर करने वाले इकलौते प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह भारतीय इतिहास के खिलौने प्रधानमंत्री थे जिनके हस्ताक्षर भारतीय मुद्रा पर पाए गए। 2005 में उनके प्रधानमंत्री रहते हुए ₹10 का विशेष नोट जारी किया गया, जिस पर उनके हस्ताक्षर थे। आमतौर पर नोटों पर केवल भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन यह एक ऐतिहासिक अपवाद था।

Dr. Manmohan Singh: आरबीआई गवर्नर के रूप में उनकी भूमिका

मनमोहन सिंह ने 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान जारी सभी भारतीय नोटों पर उनके हस्ताक्षर मौजूद थे। आरबीआई गवर्नर के रूप में भी उन्होंनेअपनी आर्थिक समझ और दूर दृष्टि का परिचय दिया।

Dr. Manmohan Singh: 1991 में आर्थिक सुधारो की नई शुरुआत

1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया। उसे समय देश का राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा अपने उच्चतम स्तर पर था। विदेशी मुद्रा भंडार इतना काम था कि देश केवल दो हफ्तों तक आयात के लिए सक्षम था। मनमोहन सिंह ने इस चुनौती पूर्ण स्थिति में ऐतिहासिक बजट पेश किया और आर्थिक सुधारो का नया युग शुरू किया।

लाइसेंस राज का अंत और निजीकरण का दौर

मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज की व्यवस्था को खत्म किया, जिससे उद्योगों के लिए रास्ते खुले। उन्होंने विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की शुरुआत की। इन सुधारो ने भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, वैश्वीकरण और निज़ीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया।

आर्थिक सुधार में उनका योगदान

मनमोहन सिंह ने रुपए के अवमूलन, करो में कटौती और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने जैसे बड़े कदम उठाए। उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा में अग्रसर किया। उनका 1991 में बजट भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।

 प्रधानमंत्री के तौर पर ऐतिहासिक फैसला

हनुमान सिंह 2014 से 24 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम( मनरेगा) मूल वर्धित कर (वैट ), और आधार जैसी योजनाओं की शुरुआत की। 2007 में उनके नेतृत्व में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 9% तक पहुंच गई, जिससे भारत दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया। उन्होंने 76 हजार करोड रुपए की कृषि ऋण माफी और राहत योजना भी शुरू की जिससे करोड़ों किसानों को सीधा लाभ हुआ। 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान भी उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा। उनकी सरकार ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की जिसे भारतीय उद्योग और बाजार में मंदी के प्रभाव से बचा जा सका।

 समाज और विकास की नई परिभाषा

हनुमान सिंह ने अपने कार्यकाल में देश के हर हिस्से में बैंक शाखाएं खोलने, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और ग्रामीण विकास के लिए ठोस कदम उठाए। उनकी नीतियां न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण भारत को भी नई ऊर्जा दी। डॉ मनमोहन सिंह न केवल एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री बल्कि एक संवेदनशील और कुशल नेता भी थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक और नीतियों के साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत किया। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। डॉ मनमोहन सिंह के निधन से देश ने एक महान नेता को दिया है उनके द्वारा दिए गए आर्थिक और सामाजिक सुधार भारत के विकास में हमेशा मिल का पत्थर बने रहेंगे।

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