राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे चौमू कस्बे में गुरुवार देर रात उस वक्त तनाव फैल गया, जब एक मस्जिद के बाहर रखे पत्थरों और रेलिंग को हटाने को लेकर विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते दो समुदायों के बीच कहासुनी हिंसक झड़प में बदल गई और इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
अतिक्रमण को लेकर लंबे समय से चल रहा था विवाद
जयपुर पश्चिम के डीसीपी हनुमान प्रसाद मीना के अनुसार, चौमू में स्थित एक कलंदरी मस्जिद के आसपास अतिक्रमण को लेकर काफी समय से विवाद चला आ रहा था। एक पक्ष ने पहले स्वयं अतिक्रमण हटा लिया था, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने लोहे के एंगल और रेलिंग लगाकर ढांचे को दोबारा स्थायी रूप देने की कोशिश की।
पुलिस कार्रवाई के दौरान हुआ पथराव
जब पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर लगाए जा रहे ढांचे को हटाना शुरू किया, तभी भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हालात इतने बिगड़ गए कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
6 पुलिसकर्मी घायल
इस हिंसक झड़प में छह पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनके सिर में चोट आई है। सभी घायलों को प्राथमिक उपचार दिया गया है। पुलिस ने घटना को गंभीर मानते हुए दोषियों की पहचान शुरू कर दी है।
10 उपद्रवी हिरासत में, भारी पुलिस बल तैनात
स्थिति को नियंत्रण में लाने के बाद पुलिस ने अब तक 10 पत्थरबाजों को हिरासत में लिया है। चौमू क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और लगातार निगरानी रखी जा रही है। फिलहाल इलाके में हालात सामान्य बताए जा रहे हैं।
आधी रात में बढ़ा तनाव
यह पूरी घटना 25 और 26 दिसंबर की दरम्यानी रात करीब 3 बजे की बताई जा रही है। जयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित चौमू बस स्टैंड के पास यह विवाद शुरू हुआ, जिसने रातों-रात पूरे इलाके को तनाव की चपेट में ले लिया।
आंसू गैस का करना पड़ा इस्तेमाल
भीड़ को तितर-बितर करने और हालात पर काबू पाने के लिए जयपुर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी पहुंचे और स्थिति की निगरानी की।
इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद
तनाव को देखते हुए प्रशासन ने चौमू में 26 दिसंबर सुबह 7 बजे से 27 दिसंबर सुबह 7 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं, ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जा सके और शांति व्यवस्था बनी रहे।
क्या है विवाद की जड़?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्जिद के पास सड़क किनारे करीब 45 वर्षों से पत्थर रखे हुए थे। प्रशासन ने ट्रैफिक सुधार के उद्देश्य से इन्हें हटाने का फैसला किया था। समुदाय के प्रतिनिधियों से बातचीत और सहमति के बाद ही यह कार्रवाई शुरू की गई थी।
रेलिंग लगाने पर भड़का विरोध
पत्थर हटाने का काम पूरा हो जाने के बाद जब वहां रेलिंग लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। यही विरोध धीरे-धीरे उग्र हो गया और हिंसा में तब्दील हो गया।
