Makrampur Bajrangbali Sthan: मकरमपुर बजरंग बली मंदिर में लहराए हजारों ध्वज, जानें इसका इतिहास

Makrampur Bajrangbali Sthan

Makrampur Bajrangbali Sthan: बिहार के दरभंगा जिले के मकरमपुर गांव में मंगलवार को बजरंगबली को महावीरी ध्वजा अर्पित किया गया। हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने यहां बजरंगबली को ध्वजा चढ़ाया। दिन से पूरे गांव में भक्तिमय माहौल रहा और जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे ही श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होते गए। करीब 40 हजार भक्तों ने आज देशभर में प्रसिद्ध बजरंगबली मंदिर में आकर भगवान के दर्शन किए और करीब 10 हजार ध्वजा बजरंगबली को चढ़ाए गए।

Makrampur Bajrangbali Sthan: पहुंचे हजारों भक्त

ग्रामीणों ने बताया कि एक दिन पहले यानी सोमवार से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया और मंगलवार सुबह से भक्तिमय माहौल बन गया। यहां की मान्यता है कि भक्त जो कुछ भी बजरंगबली से मांगते हैं उनकी इच्छा जरूर पूरी होती है। मनोकामना पूरा होने के बाद भक्त यहां ध्वजा अर्पित करते हैं और भगवान को प्रसाद का भोग लगाते हैं। यह मंदिर बिहार के साथ-साथ नेपाल तक में प्रसिद्ध है। हर साल सैकड़ों की संख्या में विदेश से भी भक्त यहां पहुंचते हैं।

Makrampur Bajrangbali Sthan

वहीं, ध्वजारोहण के दिन इस इलाके के तमाम विधायक, सांसद और मंत्री मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। साथ ही पूजा करते हैं। इसबार भी कुछ वैसा ही रहा। इस दौरान मंदिर परिसर में सुरक्षा के इंतजाम भी दिखे। जगह-जगह पुलिस के जवान तैनात किए गए थे, ताकि यहां आने वाला भक्तों को परेशानी न हों। इसके साथ ही श्रद्धालुओं की सेवा में पूरे मकरमपुर ग्रामवासी लगे रहे। आपको बता दें कि यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन ध्वजारोहण किया जाता है।

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क्या है मंदिर का इतिहास

मकरमपुर में स्थित बजरंगबली मंदिर के बारे में कहा जाता है कि काफी समय पहले गांव में हैजा फैल गया था। हैजा फैलने से काफी लोगों की मौत हो गई थी, लोग चिंतित थे, उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाय। इसी बीच मंदिर के पुजारी को स्वप्न आया कि बजरंगबली को ध्वजारोहण करने से गांव में फैले हैजा का निदान हो सकता है। इसके बाद ग्रामीणों ने ध्वजारोहण किया, तब से यह प्रथा चलती आ रही है और भादव कृष्ण पक्ष नवमी को ध्वजारोहण होता रहा है।

वहीं, कई लोगों का कहना है कि काफी समय पहले गांव के जमींदार और दरभंगा राज घराने के बीच जमीनी लड़ाई चल रही थी, जब इस लड़ाई में ग्रामीणों की जीत हुई तो खुशी से ध्वजारोहण किया, जिसके बाद यह प्रथा जारी रही और अब तक चल रही है। गांव के हर घर से ध्वजा अर्पित किया जाता है।

सैकड़ों वर्षों से परंपरा जारी

बता दें कि मंदिर में ध्वजारोहण करने की परंपरा करीब 200 वर्षों से चली आ रही है। पहले एक ध्वजा से इसकी शुरुआत हुई थी। अब हर साल आठ से 10 हजार ध्वजारोहण किया जाता है। यह भक्तों की आस्था है कि दिन प्रतिदिन यहां श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ती ही जा रही है। यहां बिहार के करीब-करीब हर जिले के लोग पहुंचते हैं। साथ ही नेपाल से भी लोग आते हैं। मान्यता है कि यहां आए भक्त कभी उदास होकर नहीं जाते है। यहां बजरंगबली सभी भक्तों की मुराद पूरा करते हैं।

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