Supreme Court Alimony Guidelines: गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, दिए 8 महत्वपूर्ण बिंदु।

Supreme Court Alimony Guidelines: बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को अपनी पत्नी और परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। उन्होंने आत्महत्या से पहले डेढ़ घंटे की वीडियो बनाया और 24 पन्नों का एक भावुक खत लिखा। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार को जिम्मेदार ठहराया। एक घटना ने दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के कानूनों की समीक्षा की मांग तेज कर दी है।

Supreme Court Alimony Guidelines: गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पति ने गुजारा भत्ता तय करने की गाइडलाइंस दी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीवी पारले की बेच ने कहां की गुजारा भत्ता का उद्देश्य पत्नी को बेहतर जीवनयापन में मदद करना है, ना कि पति को दंडित करना हैं। कोर्ट ने मनमानी ढंग से गुजारा भत्ता तय करने के खिलाफ सख्त रूख अपनाया।

Supreme Court Alimony Guidelines: गुजारा भत्ता तय करने के 8 बिंदु

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालत को गुजारा भत्ता तय करने के आठ प्रमुख बिंदु बताएं:

 

1. सामाजिक स्तर: पति पत्नी का सामाजिक दर्जा क्या है।

 

2. भविष्य की ज़रूरतें: पत्नी और बच्चे की आवश्यक जरूरतें।

 

3. रोजगार: दोनों पक्ष की रोजगार क्षमता।

 

4. आय और संपत्ति: दोनों पक्षों की कुल संपत्ति और आय का स्रोत।

 

5. जीवन स्तर: ससुराल में पत्नी का जीवन स्तर।

 

6. नौकरी छोड़ने का कारण: क्या पत्नी ने परिवार के लिए नौकरी छोड़ी थी।

 

7. मुकदमे का खर्च: महिला के पास रोजगार न होने पर कानूनी खर्च।

 

8. पति की आर्थिक स्थिति: पति की आई और देनदारी का आकलन।

 ‘जियो और जीने दो’ का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ते का उद्देश्य दोनों पक्षों के जीवन जीने में मदद करना है। कोर्ट ने अदालत को सलाह दी है कि निर्णय लेते समय निष्पक्षता का संतुलन बनाए रखें।

 कानून की समीक्षा की मांग

अतुल सुभाष की आत्महत्या ने दहेज उत्पीड़न और तलाक जैसे मामलों में कानून की समीक्षा की मांग तेज कर दी है। कई लोग मानते हैं कि इन कानून का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे पति और उनके परिवार पर गैर जरूरी दबाव बढ़ता है।

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