Royal Feud in Mewar: शाही परिवार की लड़ाई सड़कों पर, राजगद्दी को लेकर खींचतान!

Royal Feud in Mewar: महाराणा प्रताप के मेवाड़ के इतिहास में साहस और बलिदान की मिसाल है उनके वंशज आज राजगद्दी के लिए आपस में भिड़ गए हैं। यह विवाद तब सामने आया जब उदयपुर में मेवाड़ राजवंश के राजा के रूप में विश्वराज सिंह मेवाड़ की ताजपोशी की गई। उनके छोटे चाचा अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इस ताजपोशी को अवैध करार दिया है।

Royal Feud in Mewar: राजनीति का इतिहास और विवाद की वजह

इस झगड़े की जड़े राजघराने के पुराने इतिहास में छिपी हैं। मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला,जिसे से महाराणा प्रताप की वीरता का प्रतीक माना जाता है, अब उसी किले की गद्दी का दावा करते हुए दो भाइयों के वंशज आमने-सामने आ गए हैं।विश्वराज सिंह, जिनकी ताजपोशी हाल ही में हुई, महेंद्र सिंह के बेटे हैं। दूसरी तरफ, लक्ष्यराज सिंह, अरविंद सिंह के बेटे है। महेंद्र और अरविंद सगे भाई हैं और उनके पिता भगवत सिंह को अंतिम महाराणा प्रताप माना जाता है।

Royal Feud in Mewar: कैसे बढा ये विवाद

भगवान सिंह के बाद उनके दोनों बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह के बीच गद्दी को लेकर विवाद शुरू हुआ। परंपरा के अनुसार, बड़ा बेटा यानी महेंद्र सिंह का पारिवारिक गद्दी पर हक़ था। इसी आधार पर उनके बेटे विश्वराज सिंह को राजा घोषित किया गया लेकिन अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इसे गैरकानूनी बताते हुए चुनौती दी।

क्या कहता है मेवाड़ का इतिहास

मेवाड़ राजवंश का इतिहास सहायक और बलिदान से भरा है। महाराणा प्रताप जैसे योद्धा ने मुगल से लड़ते हुए मेवाड़ की स्वतंत्रता की रक्षा की। उनका चित्तौड़गढ़ किला इस राजघराने की शक्ति का केंद्र था। लेकिन आज यही किला गद्दी की लड़ाई की वजह बन गया है।

 सड़कों पर उतर विवाद

राजपरिवार का यह झगड़ा अब घर की चार दीवारी से बाहर निकाल कर सड़कों पर आ गया है। अरविंद सिंह और अक्षरा सिंह ने सार्वजनिक रूप से विश्वराज सिंह के ताजपोशी को चुनौती दी है, जिससे यह मामला चर्चा का विषय बन चुका है। राजनीति के आशीर्वाद में मेवाड़ की प्रतिष्ठा पर असर डाला है। यह झगड़ा केवल व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि राजवंश की गरिमा पर सवाल है।लोगों की निगाह अब इस पर टिकी है कि यह मामला कैसे चलता है और क्या मेवाड़ का गौरव फिर से बरकरार रहेगा।

 मेवाड़ का पर्व और आज के चुनौती

महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा के वंशजों के बीच हो रही है लड़ाई मेवाड़ के इतिहास और परंपरा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। यह भी बात में केवल एक रात घबराने की कहानी है बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति पर पड़ने वाला असर भी है।

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