Ajmer Sharif Controversy: राम गोपाल यादव का तीखा बयान, “छोटे जज देश में आग लगाना चाहते हैं”

Ajmer Sharif Controversy: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद रामगोपाल यादव ने अजमेर शरीफ दरगाह से जोड़ विवाद पर कोर्ट के फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कोर्ट द्वारा मामले में सुनवाई के लिए तैयार होने पर कहा ” छोटे- छोटे जज देश में आग लगवाना चाहते हैं”।

Ajmer Sharif Controversy: पीएम मोदी ने भी अजमेर शरीफ पर चादर चढ़ाई है

रामगोपाल यादव ने अजमेर शरीफ को धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बताते हुए कहा कि यहां पूरी दुनिया से लोग आते हैं और उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भी दरगाह पर चादर चढ़ा चुके हैं। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “सत्ता में रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं”।

Ajmer Sharif Controversy: संभल हिंसा पर भी प्रशासन को दोषी ठहराया

रामगोपाल ने संभाल हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना में प्रशासन पूरी तरह से दोषी है। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच होने पर कई वरिष्ठ अधिकारी जेल जाएंगे साथ ही, उन्होंने संसद में इस मुद्दे पर नोटिस देने की जानकारी भी दी।

 अजमेर शरीफ पर शिव मंदिर होने का दावा

राजस्थान की सिविल कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह में भगवान संकट मोचन महादेव का मंदिर होने की आज का को स्वीकार किया है। याचिका करता विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि प्राचीन समय में यहां से मंदिर था, जैसे बाद में दरगाह में बदल दिया गया कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर तय की है।

 तीन पक्षो को मिला कोर्ट का नोटिस

अदालत ने दरगाह कमेटी अजमेर, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ASI ) को नोटिस जारी किया है। याचिका करता ने दरगाह परीसर को मंदिर घोषित करने और वहां पूजा अर्चना की अनुमति की मांग की है।

 कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस मुद्दे पर भाजपा को धेरा। उन्होंने कहा” ऐसी बातें देश में आग लगा देंगे क्या भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए पूरे देश को जलाना चाहती है? ”

उन्होंने उपासना अधिनियम 1991 का जिक्र करते हुए इस दरकिनार करने का आरोप लगाया और सुप्रीम कोर्ट से मामले का संज्ञान लेने की अपील की।

 धार्मिक स्थलों पर बढ़ता विवाद

अजमेर शरीफ पर बाद में एक बार फिर धार्मिक स्थलों के दावे और राजनीति को हवा दे दी है। क्या ऐसे मुद्दे समाज में शांति बनाए रख पाएंगे या यह राजनीति का एक और साधन बनेंगे? मामला अब अदालत और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

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