Historic decision: बिहार सरकार ने बेतिया राज्य की विशाल संपत्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया है। अब लगभग 15,358 एकड़ जमीन बिहार सरकार के अधीन होगी। यह संपत्ति बिहार के सात जिलों और उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में फैली हुई है, दिन में पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सारण, पटना, और वाराणसी शामिल है
Historic decision: विधायक का पास होना,सरकार का ऐतिहासिक कदम
इस विधेयक को मंगलवार 26 नवंबर को बिहार विधानसभा से मंजूरी मिल गई है। मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस मौके पर कहा कि बेतियां महाराज की अंतिम रानी के बिना संतान होने के कारण अंग्रेजी सरकार ने उनकी संपत्ति को कोर्ट आफ वार्ड्स के तहत कर लिया था। अब यह संपत्ति राज्य सरकार की हो गई है।
Historic decision: अतिक्रमण की समस्या, सरकार ने लिया एक्शन
बेतिया राज की जमीन पर अब तक बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ था। पश्चिमी चंपारण के करीब 6.505 एकड़ जमीन और पूर्वी चंपारण में 3.221 एकड़ जमीन पर कब्जा किया गया था। अब, बिहार सरकार ने अतिक्रमण कार्यों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
बेतिया राज का इतिहास और संपत्ति विवाद
बेतिया राज का इतिहास काफी दिलचस्प है। 1893 में राजा हरेंद्र किशोर के रहस्यमय मृत्यु के बाद उनके साम्राज्य को उनकी पत्नियों ने संभाला। लेकिन, अंत में अंग्रेजी हुकूमत में बिना उत्तराधिकारी के बेतिया राज्य की संपत्ति को अपने कब्जे में ले लिया।
अब बेतिया राज की संपत्ति होगी अतिक्रमण मुक्त
बिहार सरकार का यह कदम ऐतिहासिक है क्योंकि अब तक यह संपत्ति अतिक्रमण और विवादों से धिरी हुई थी। इस नए विधायक से सरकार का उद्देश्य बेतिया राज की भूमि पर से अतिक्रमण हटाना और उसे सरकारी नियंत्रण में लाना है।